माननीय प्रधानमंत्री जी की फ्लेगशिप योजना ’बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ की राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन दिनांक 29 जून 2018, शुक्रवार को भोपाल में महिला एवं बाल विकास द्वारा किया गया। कार्यशाला में भारत सरकार, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के उप सचिव श्री अशोक यादव भी उपस्थित हुए। उल्लेखनीय है ’बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना में पहले प्रदेश के 6 जिले ही शामिल थे, इस वर्ष 38 जिले इस योजना में शामिल होने से कुल 42 जिलों में योजना चलाई जा रही है। इन जिलों के उन्मुखीकरण हेतु ही उक्त कार्यशाला का आयोजन किया गया। भारत सरकार, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के उप सचिव श्री अशोक यादव ने ’बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए इसके वित्तीय प्रावधानों एवं अपेक्षित परिणामों के बारे में जानकारी दी। श्री यादव ने बताया कि अन्य राज्यों की तुलना में मध्यप्रदेश के शिशु लिंगानुपात में सुधार की स्थिति बेहतर है।
प्रमुख सचिव, मध्यप्रदेश शासन, महिला एवं बाल विकास विभाग श्री जे.एन. कांसोटिया ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि बालिका भेदभाव की मानसिकता ही बड़ी चुनौती है, इस कारण योजना के तीव्र परिणाम नहीं मिलेंगे, परन्तु हमें लगातार प्रयासरत रहना होगा और ज्यादा से ज्यादा जनसमुदाय को इससे जोड़ना होगा। उन्होंने कहा कि हर जिला अपना एक गतिविधि केलेण्डर बनाए। इनमें रैली, साइकिल यात्रा आदि को शामिल कर इस मुद्दे पर जनआंदोलन चलाये। प्रदेश में चलाई जा रही महिला हितैषी योजनाओं का प्रचार-प्रसार कर इसका लाभ लेने हेतु हितग्राहियों को प्रेरित करें।
आयुक्त, महिला एवं बाल विकास विभाग डॉ. अशोक कुमार भार्गव ने कहा कि इक्कीसवीं सदी में अठारहवीं सदी की मानसिकता गहन मानवीय संकट की आहट है। अतः समाज में महिलाओं के प्रति सकारात्मक माहौल एवं वातावरण निर्मित करने के लिए समुदाय की सक्रिय भागीदारी प्रोत्साहित करने की महती आवश्यकता है।
डॉ. भार्गव ने कहा कि आदिवासी इलाकों में बेहतर शिशु लिंगानुपात इस बात का द्योतक है कि विकास के साथ यह समस्या विकराल हो रही है। उन्होने कहा कि समाज में सभी वर्गों को बेटियों के जन्म को हर्ष, उल्लास, उमंग व उत्साह से उत्सव के रुप में मनाना चाहिए। अपने घर, समुदाय व आसपास बेटियों को भेदभाव रहित व्यवहार के साथ पोषित और शिक्षित करना चाहिए। बेटियों के लिए ‘‘पराया धन’’ या ‘‘बोझ’’ जैसे नकारात्मक शब्दों का उपयोग न करते हुए उन्हें गौरवान्वित महसूस कराने वाले शब्दों जैसे ‘‘मेरी बेटी मेरी शान, मेरी बेटी मेरा मान’’ का उपयोग करना चाहिए।
डॉ. भार्गव ने योजना क्रियान्वयन के संबंध में निर्देश देते हुए कहा कि ’बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग एवं शिक्षा विभाग के साथ प्रभावी समन्वयन कर योजना के लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु सतत् निगरानी की जानी चाहिए। डॉ. भार्गव ने कहा कि प्रत्येक जिले में महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज करने वाली बेटियों को ’बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ का ब्रांड एम्बेसडर बनाना चाहिए। हर साल नये ब्रांड एम्बेसडर बनाना चाहिए। इन बालिकाओं को विशेष अवसरों पर सार्वजनिक रूप से सम्मानित करना चाहिए।
संयुक्त संचालक ’बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना श्री सुरेश तोमर ने बताया कि प्रदेश के भिण्ड, मुरैना, दतिया, ग्वालियर जिलों में समेकित बाल विकास सेवा योजना के एम.आई.एस के आँकड़ों के आधार पर शिशु लिंगानुपात में लगातार सुधार परिलक्षित हो रहा है। वर्ष 2021 की जनगणना में प्रदेश निश्चित ही बेहतर प्रदर्शन करेगा।
कार्यशाला में संचालक, महिला सशक्तिकरण, महिला एवं बाल विकास विभाग, श्री छोटे सिंह, ’बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना के सलाहकार, भारत सरकार श्री शशिकांत यादव एवं अन्य विभागीय अधिकारी आदि भी उपस्थित थे।